Tuesday 26 March, 2013

आपबीती

16 फरवरी की रात को एक शादी से हम घर वापस आ रहे थे। मैं, मेरे पति और बच्चे सब बहुत खुश थे कि अचानक साइड से एक कैब से हमारी ज़ोरदार टक्कर हो गई। पल में सब कुछ तहस-नहस हो गया। जब होश आया तो सबसे पहले बच्चों का ख्याल आया ... दोनों ठीक तोह हैं। उन्हें ठीक देखकर उसके बाद पति के बारे में सोचा, उन्हें भी ठीक देखकर तब अपने शरीर पर लगी चोटों का दर्द महसूस हुआ। अस्पताल से घर आने के बाद कुछ आराम होने के बाद, हर वक़्त बिस्तर पर लेते हुए यही ख्याल आता रहता कि इतनी ज़बस्दस्त टक्कर के बावजूद हम चारों बच कैसे गए ... क्योंकि करीब 7 साल पहले भी हमारा ऐसे हे एक्सीडेंट हो गया था। उस वक़्त भी सभी को थोड़ी सी चोटें ही आई थीं। आज कल पति काफी उदास रहते हैं कि एक नहीं दो बार हमारे साथ ऐसा हो गया, गाड़ी पूरी तरह टूट गयी, फिर हम दोनों एक दुसरे को समझा लेते हैं की जान है तो जहां है। लगता है शायद भूले से जीवन में किसी का दिल दुखाया हो तो हमारे साथ ऐसा हो गया, फिर लगता है हमने अपने जीवन में बहुत कुछ अच्छा किया है इसी कारण एक नहीं दो बार मौत के मुँह से लौट आये  हैं।  मेरे पति बहुत हे विनम्र और दूसरों की मदद करने वाले इंसान हैं। मुझे लगता है कि जो भी होता है अच्छा ही होता है। इंसान को सब कुछ भगवन के हाथ छोड़ देना चाहिए, बस अपना कर्म करते रहना चाहिए। अब हमने इस हादसे को एक बुरा सपना समझ कर भुला दिया है और ज़िन्दगी में आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। सब कुछ भुला कर आगे बढ़ना ... इसी का नाम तो ज़िन्दगी है।

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